भो मित्राणि !!
पठन्तु स्मरन्तु वाक्याभ्यासञ्च कुर्वन्तु !!
द्वितीया विभक्तिः (द्विकर्मक धातुएं)
5. दण्ड
मनुः चौरं हस्तच्छेदं दण्डयति = मनुराजा चोर के हाथ काटने का दण्ड देता है।
यत्र प्राकृतं जनं रुप्यकं दण्डयेत् राजानं तत्र सहस्रगुणं दण्डयेत् = जिस अपराध के लिए प्रजा को एक रुपए से दण्डित किया जाए उसी अपराध के लिए राजा को हजारगुणा दण्ड प्रावधान होवे।
6. रुध्
गोशालिकः गाः गोशालाम् अवरुणद्धि = गऊसेवक गायों को गोशाल में रोकता है।
रक्षकभटाः अपहारकं विमानपत्तनं रुन्ध्युः = पुलिस अपहरणकर्ता को हवाईअड्डे पर रोक देवे।
वायुः वृष्टिं अन्तरिक्षम् अवरोत्स्यति = हवा का बहाव बारिश को आकाश में रोक देगी।
7. प्रच्छ्
पिता पुत्रं प्रश्नं पृच्छति = पिता पुत्र से प्रश्न करता है।
गुरुं धर्मं पृच्छेत् = गुरु से धर्म के विषय में पूछे।
विवाहकांङ्क्षिणी सुता मातरं गृहस्थधर्मं प्रक्ष्यति = विवाह की इच्छुक पुत्री माता से गृहस्थ के कर्त्तव्यों को पूछेगी।
पान्थं पन्थानं पृच्छतु = पथिक से रास्ता पूछो।
8. चि
मञ्जुजुला मल्लिकां मञ्जुलानि कुसुमानि चेष्यति = मंजुला मल्लिका के सुन्दर फूलों को तोड़ेगी।
पाटलपादपं पाटलानि प्रसूनानि मा चिनोतु = गुलाब के पौधों से गुलाब मत तोड़ो।
9. ब्रू
परस्परं सत्यं ब्रूयात् = एक दूजे के साथ सदा सत्य बोलना चाहिए।
मा ब्रवीतु अनृतं कञ्चन = किसी के साथ झूठ न बोले।
सत्यवादी सर्वान् सत्यमेव वक्ष्यति = सत्यवादी सभी से सत्य ही बोलेगा।
10. शास्
अध्यापकाः शिष्यान् सदाचारं शिष्युः = अध्यापक शिष्यों को सदाचार का उपदेश करें।
पुरोहितः यजमानं संस्कारान् शास्तु = पुरोहित यजमान को संस्कारों का उपदेश करे।
11. जि
नृपः शत्रून् धनं जयति = राजा शत्रु से धन को जीतता है।
मित्रं सखायं समयं जेष्यति = मित्र अपने मित्र से शर्त जीत जाएगा।
12. मथ्
भ्रातृव्या दधि नवनीतं मथ्नाति = भतीजी दही बिलोके मक्खन निकालती है।
क्रान्तदर्शिणः प्रकृतिं नवीनान् आविष्कारान् अमथिषुः = क्रान्तदर्शियों ने प्रकृति का मन्थन कर नयी-नयी खोजें कीं।
वैयाकरणा महान्तं शब्दोघं व्याकरणं अमथन् = वैयाकरणों ने विशाल शब्दराशि से व्याकरण को मथा।
13. मुष्
चौरः प्रतिवेशिनं धनं मुष्णाति = चोर पडोसी के धन को चुराता है।
शाटिकाः स्त्रियः बुद्धिं मोषिष्यति = साड़ियां महिलाओं की मति को चुरा ले जाएंगी।
पठन्तु स्मरन्तु वाक्याभ्यासञ्च कुर्वन्तु !!
द्वितीया विभक्तिः (द्विकर्मक धातुएं)
5. दण्ड
मनुः चौरं हस्तच्छेदं दण्डयति = मनुराजा चोर के हाथ काटने का दण्ड देता है।
यत्र प्राकृतं जनं रुप्यकं दण्डयेत् राजानं तत्र सहस्रगुणं दण्डयेत् = जिस अपराध के लिए प्रजा को एक रुपए से दण्डित किया जाए उसी अपराध के लिए राजा को हजारगुणा दण्ड प्रावधान होवे।
6. रुध्
गोशालिकः गाः गोशालाम् अवरुणद्धि = गऊसेवक गायों को गोशाल में रोकता है।
रक्षकभटाः अपहारकं विमानपत्तनं रुन्ध्युः = पुलिस अपहरणकर्ता को हवाईअड्डे पर रोक देवे।
वायुः वृष्टिं अन्तरिक्षम् अवरोत्स्यति = हवा का बहाव बारिश को आकाश में रोक देगी।
7. प्रच्छ्
पिता पुत्रं प्रश्नं पृच्छति = पिता पुत्र से प्रश्न करता है।
गुरुं धर्मं पृच्छेत् = गुरु से धर्म के विषय में पूछे।
विवाहकांङ्क्षिणी सुता मातरं गृहस्थधर्मं प्रक्ष्यति = विवाह की इच्छुक पुत्री माता से गृहस्थ के कर्त्तव्यों को पूछेगी।
पान्थं पन्थानं पृच्छतु = पथिक से रास्ता पूछो।
8. चि
मञ्जुजुला मल्लिकां मञ्जुलानि कुसुमानि चेष्यति = मंजुला मल्लिका के सुन्दर फूलों को तोड़ेगी।
पाटलपादपं पाटलानि प्रसूनानि मा चिनोतु = गुलाब के पौधों से गुलाब मत तोड़ो।
9. ब्रू
परस्परं सत्यं ब्रूयात् = एक दूजे के साथ सदा सत्य बोलना चाहिए।
मा ब्रवीतु अनृतं कञ्चन = किसी के साथ झूठ न बोले।
सत्यवादी सर्वान् सत्यमेव वक्ष्यति = सत्यवादी सभी से सत्य ही बोलेगा।
10. शास्
अध्यापकाः शिष्यान् सदाचारं शिष्युः = अध्यापक शिष्यों को सदाचार का उपदेश करें।
पुरोहितः यजमानं संस्कारान् शास्तु = पुरोहित यजमान को संस्कारों का उपदेश करे।
11. जि
नृपः शत्रून् धनं जयति = राजा शत्रु से धन को जीतता है।
मित्रं सखायं समयं जेष्यति = मित्र अपने मित्र से शर्त जीत जाएगा।
12. मथ्
भ्रातृव्या दधि नवनीतं मथ्नाति = भतीजी दही बिलोके मक्खन निकालती है।
क्रान्तदर्शिणः प्रकृतिं नवीनान् आविष्कारान् अमथिषुः = क्रान्तदर्शियों ने प्रकृति का मन्थन कर नयी-नयी खोजें कीं।
वैयाकरणा महान्तं शब्दोघं व्याकरणं अमथन् = वैयाकरणों ने विशाल शब्दराशि से व्याकरण को मथा।
13. मुष्
चौरः प्रतिवेशिनं धनं मुष्णाति = चोर पडोसी के धन को चुराता है।
शाटिकाः स्त्रियः बुद्धिं मोषिष्यति = साड़ियां महिलाओं की मति को चुरा ले जाएंगी।
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