શુક્રવાર, 22 જાન્યુઆરી, 2016

।। ॐ सुभाषितम् ॐ  ।।          
पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः
स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः।
नादन्ति सस्यं खलु वारिवाहाः
परोपकाराय सतां विभूतयः॥
   नदियाँ अपना पानी स्वयं नहीं पीती, वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते, बादल अपने बरसाए पानी द्वारा उगाया हुआ अनाज स्वयं नहीं खाते। सत्पुरुषों का जीवन परोपकार के लिए ही होता है। 🌹सुप्रभातम्🌹

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